Wednesday, July 2, 2008

Nazuk/ नाज़ुक



मध्यबिंदु का विशेष गीत : Our madhyabindu song from today's show.

1 comments:

sanjay patel July 7, 2008 at 9:34 AM  

ख़ुशबू जी
साधुवाद ज़िला जी को सुनवाने के लिये. देखिये मूल रूप से तो इनके घराने में सितार वादन की परम्परा रही है. गायकी की ओर ये क्यों आ गईं समझ में नहीं आता. विलायत ख़ाँ साहब महान सितार वादक थे.ये उन्हीं की बेटी हैं.आजकल सूफ़ी के नाम से काफ़ी चीज़ों को मार्केट किया जा रहा है.(हाँ सच कहूँ चीज़ ही ठीक रहेगा क्योंकि वह रूहानी ख़ुशबू अब हर जगह उपलब्ध नहीं जिसकी वजह से सूफ़ी रिवायत जानी जाती रही है)इनके घराने में सितार की आन रही है लेकिन बिला वजह ये लोग अपना वादन रोक कर गाने लगते हैं.इनके भाई शुजात हुसैन ने तो एक एलबम ही निकाल दिया है.(स्मरण रहे पं.रविशंकर ,निखिल बेनर्जी आदि ने कभी सार्वजनिक रूप से गाया नहीं)
आप सुफ़ी म्युज़िक के पसेमज़र कभी मुज़फ़्फ़र अली का हुस्ने जानाँ एकबम सुनियेगा...क्या कमाल का शोध है और क्या कमाल की गायकी का शुमार है उसमें.ख़ैर अपनी अपनी बात कहने का अंदाज़ है सबका...और हर तरह का संगीत यूँ तो अच्छा ही होता है लेकिन बाक़यदा आप कोई प्रस्तुति लेकर आते हैं तो लोगों की अपेक्षा बढ़ जाती है.(ये बात मैने ज़िला आपा के लिये कही है)

दुआओं के साथ.

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